Monday, September 28, 2009

विजय रावण की!

देश भर ने विजय दशमी मनाई, मुम्बई भी रावण का पुतला जलाने में पीछे नहीं रही। लेकिन, हर साल की तरह इस बार भी वहीं यक्ष प्रश्न कितने रावण जलाओगे- ग्लोबल वार्मिंग से लेकर ग्लोबल रिशेसन तक, पड़ोसी (देशों) की टेनशन से लेकर टेरेरिज्म तक, महंगाई से लेकर तनहाई तक, बीमारी से महामारी तक, राजनीति से समाज तक, साहित्य से पत्रकारिता तक, अर्श से फर्श और जीवन के उत्कर्ष (लिंग जांच व भ्रूण हत्या) तक हर डग पर रावण की दहाड़ व धमक महसूस की जा सकती है। फिर भी, हम कहते हैं कि हमने बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व मना लिया है, रावण को जला दिया है।
सर्वेश पाठक

Monday, September 7, 2009

कहीं यह हमले की तैयारी तो नहीं...

पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियां और युद्धक हथियारों में बढ़ोतरी और महज 15 दिनों के भीतर चीन की सीमा पर भारत में चीनियों की घुसपैठ। इन दोनों घटनाओं को महज संयोग नहीं कहा जा सकता। क्योंकि यदि यह संयोग होता, तो एक साथ नहीं होता। इन घटनाओं से इन अंदेशों को बल मिलता है कि कहीं पड़ोसी देशों ने भारत के खिलाफ गुप्त समझौते तो नहीं कर लिए और मौके की तलाश में हैं कि कब कुछ गड़बड़ हो और हमारे देश पर हमला बोल दें।

इधर भारत सरकार कार्रवाई की बजाय महज एतराज जताने और अमरीका से दबाव डलवाने की रणनीति अपनाने का काम कर रही है। दोनों पड़ोसी देश (चीन और पाकिस्तान) शायद इन्हीं बातों का इंतजार कर रहे हैं कि भारत और विश्व के दूसरे देशों की प्रतिक्रिया क्या है, अगर मामला ढुलमुल हो, तो आगे हमले की तैयारियां की जाएं और भारत को दोनों ओर से एकसाथ हमला कर कमजोर और टूटने पर मजबूर किया जाए। अभी आज ही कोलकाता में इराक से आए एक जहाज में भारी मात्रा में हथियार और गोलाबारूद बरामद हुआ, जो चीन की उड़ान भरने जा रहा था।

अत: इन घटनाओं को सामान्य नहीं देखा जाना चाहिए और सरकार को कठोर होना ही होगा, तभी ऐसी घटनाओं पर काबू पाया जा सकेगा और अमरीका जैसे देशों में भी सशक्त भारत का संदेश पहुंचेगा।