Wednesday, May 27, 2009

कब बुझेगी आतंक की आग

सर्वेश पाठक
लाहौर की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आतंक का कोई मजहब नहीं होता और सांप को पालोगे, तो वो काटेगा ही... लेकिन शायद अभी भी पाकिस्तान की समझ में यह बात नहीं आए क्योंकि कुछ दिन पहले पाक ने भारत से मदद के नाम पर सीमा से सेना हटाने की गुजारिश की थी, जबकि सीमा पर आतंकी घुसपैठ बरकरार है। ऐसे में, जाहिर है कि पाक अपने घर की कलह दूर करने में अभी भी ज्यादा सक्रिय नहीं है, बल्कि सिर्फ बयान बाजी के जरिए ऐसी वारदातों से पीछा छुड़ाना चाहता है।
पड़ोसी देशों में हो रही हलचल से भारत भी शायद ही अछूता रहे। यहां स्थिर सरकार के लिए चुनौतियां बढ़ सकती हैं, क्योंकि पाकिस्तान में लगी आग की आंच भारत तक आने की संभावना बढ़ी रहेगी। ऐसे में, यहां देश के भीतर और बाहर दोनों ही सुरक्षा का ध्यान देना होगा।
जहां तक सुरक्षा का प्रश्न है, तो अभी दो दिन पहले ही मुम्बई के एयरपोर्ट पर महज तीन बदमाशों ने दिखा दिया कि हमारी आंतरिक सुरक्षा की मजबूत है, वह भी तब जब देश की सबसे बड़ी आतंकी घटना को महज छह माह हुए हों। तो, मित्रों हमें और आपको भी हमेशा आतंक और अराजकता से रूबरू होने के अंदेशे को बरकरार रखना होगा। अपनी सुरक्षा अपने दम पर ही संभव है, शासन प्रशासन से बहुत ज्यादा उम्मीदें पालने की जरूरत नहीं..!