Monday, July 8, 2013

इंडिया में नेताओं की मौत नहीं, मौज होती है!


The monday's BIG news is... China's former railways minister Liu Zhijun was sentenced to death with a two-year reprieve here on Monday for bribery and abuse of power. As well as the suspended death sentence, the Beijing No. 2 Intermediate People's Court deprived the 60-year-old of his political rights for life and confiscated all his personal property for taking bribes. Liu was also sentenced to 10 years in jail for abuse of power, according to the court verdict.   


चीन के सरकारी मीडिया के मुताबिक़ एक अदालत ने पूर्व रेल मंत्री लियु झिजुन को भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग का दोषी करार देते हुए निलंबित मौत की सजा सुनाई है। लियो झिजुन पर पिछले 25 वर्षों के दौरान एक करोड़ डॉलर की रिश्वत लेने के आरोप थे।

अब भारत के परिप्रेक्ष्य में देखें, तो यहां पद के दुरुपयोग करने वाले नेताओं की फेहरिस्त काफी लंबी है। शायद ही कोई ईमानदार नेता मिले, जो शिख से नख तक साफ-पाक हो। लेकिन यहां सजाए मौत तो दूर, ऐसे नेताओं की मौज ही मौज है। तमाम बुद्धिजीवी अपने-अपने तईं ऐसे लोगों पर कार्रवाई की मांग करते रहे हैं, लेकिन क्या मजाल ऐसा कोई कानून पारित हो जाए, जो भ्रष्टाचारियों को शिकस्त दे सके। अभी भी लोगों के जेहन में अण्णा हजारे ताजा हैं, जिन्होंने अपने आंदोलन से देश में नई क्रांति छेडऩे की कोशिश की, लेकिन नेताओं की ऐसी जमात जुटी कि न तो अण्णा का आंदोलन रहा, न ही अण्णा के सहयोगी उनके साथ रहे। और तो और बाद के दिनों में ऐसे खिचड़ी आंदोलन हुए कि देश की जनता (जो कुछ झिंझुड़ी थी) फिर मान बैठी कि उसका पोरसा-हाल जानने-पूछने वाला नहीं है। पद लोलुपता में सने-पुते नेता, मंत्री सभी यथावत हैं। अब यही लगता है कि कौन जलाए मशाल-ए-करप्शन, सब देखने-सुनने की बातें हैं। 
-आपका, सर्वेश...

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