Tuesday, September 3, 2013

आसाराम से निराशा

रेप की बढ़ती घटनाएं बदलते समाज का आइना

हते हैं समाज मन का दर्पण है, ऐसे में आजकल बढ़ती रेप की घटनाएं साफ संकेत दे रही हैं कि हमारा मन या समाज किस दिशा में बढ़ रहा है। दिल्ली गैंग रेप कांड की आंधी अभी थमी नहीं थी कि मुंबई की शक्ति मिल में भी पिछले दिनों गैंग रेप की घटना हो गई। हाल-फिलहाल एक और लड़की ने सामने आने की हिम्मत दिखाई और बताया कि उसके साथ भी उसी शक्ति मिल में जुलाई में गैंग रेप किया गया था। ऐसा लग रहा है, जैसे रेप आजकल का सबसे आसान क्राइम हो गया है, जो कभी भी कहीं भी और किसी के भी साथ हो सकता है। और तो और, संत पुरुषों पर भी बलात्कार के आरोप लगने लगे हैं, ताजा उदाहरण आसाराम बापू का सामने है, जो आजकल खासतौर पर चर्चा में है। हो भी क्यों नहीं, आखिर यह अपराध घिनौनतम या जघन्यतम ही नहीं, बल्कि दुर्दान्ततम भी है, जो सामान्य मनस्थिति वाला व्यक्ति कदापि नहीं कर सकता।
 रेपकांड में फंसे आसाराम बापू ने न केवल संत समाज को शर्मिंदा किया है, बल्कि मानव समाज को भी उसका बदलता चारित्रिक आइना दिखाया है। कहते हैं संत न छोड़े संतई, कोटिन मिले असंत, ऐसे में यह कैसे संभव है कि धर्म और अध्यात्म के संदेश प्रेषित करने वाले अधर्मी और कुध्यात्मी हो जाएं, लेकिन अब यह सच साबित हो रहा है। लोग मन की मैल साफ करने के लिए संत समागम करते हैं, लेकिन जब संत भी संतई की आड़ में दैहिक समागम करने लगे, तो मन की मैल साफ होना तो दूर, और गंदीली व भयावह हो जाएगी।
आसाराम बापू से जुड़े मसले में एक नई चीज और उभरकर सामने आई, उनके अंध अनुयायी यह भूल गए कि जिस बेटी के साथ ऐसी घटना हुई, उसकी मनोदशा क्या होगी! दिल्ली या मुंबई गैंग रेप केस में जिस कदर पब्लिक का गुस्सा फूटा, उससे लगा कि रेप के किसी भी आरोपी को लोग बर्दाश्त नहीं करते। लेकिन आसाराम बापू मामले में उनके बहुसंख्यक अनुयायी ऐसे संत की गिरफ्तारी के विरोध पर उतर आए, जिस पर बलात्कार का आरोप लगा। देश के कई शहरों-कस्बों में विरोध प्रदर्शन हुए, प्रदर्शनकारियों का तर्क था कि बापू पर मिथ्या आरोप लगा है। भई! आरोप तो आरोप होता है, फिर रेप के मामले में पकड़ा गया कौन आरोपी कहता है कि वह दोषी है! यहां यह भी ध्यान देने योग्य है कि अपराधी का साथ या उसे समर्थन देने वाला भी उतना ही दोषी माना जाता है, जितना अपराध करने वाला।
ऐसे में, क्या आसाराम बापू के समर्थक यह साबित करने पर तुले हैं कि वे सभी बलात्कार के आरोपी का सहयोग कर रहे हैं, फिर तो उन्हें भी बलात्कार जैसे घिनौनतम अपराध को प्रोत्साहन देने की सजा दी जानी चाहिए। अगर, यह बातें अतार्किक हैं, तो फिर किसी भी आरोपी का अंधानुसरण करने की आवश्यकता क्या है?
सर्वेश पाठक

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